मंगल कामना
एक अनूठी ध्यान साधना.
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तथागत बुद्ध अपने भिक्षुओं व उपासकों से कहते थे कि तुम चौबीस घंटे, घर परिवार, अड़ोस पड़ोस, कार्यस्थल या राह पर कोई दिखे तो उसके लिए मंगल की कामना करना.
वृक्ष भी मिल जाए तो उसके पास से गुजरना, अपने आंगन व बाहर किसी फूल पत्ती को कोमलता से छूना, वृक्ष के मंगल की कामना करना.
पहाड़ भी दिख जाए तो दो पल रुकना. मंगल की कामना करके उसके निकट से गुजरना.
कोई अनजान राहगीर दिख जाए तो उसके पास से मंगल की कामना करके राह से गुजरना.
एक भिक्षु ने विनम्र हो पूछा,
भंते ! इन सबसे क्या फायदा ?
बुद्ध ने कहा, इसके दो लाभ हैं.
पहला तो यह कि तुम्हें किसी के प्रति बुरा सोचने, घृणा करने या गाली देने का अवसर नही मिलेगा.
तुम्हारे मन में बुरा खयाल आने का अवसर नहीं मिलेगा. और तुम्हारी ऊर्जा शक्ति सकारात्मक, कल्याण व मंगल की दिशा में संरक्षित हो जाएगी.
और दूसरा फायदा यह कि जब तुम किसी के लिये मंगल की कामना करते हो तो तुम उसके भीतर भी रेजोनेंस, प्रतिध्वनि पैदा करते हो. वह भी तुम्हारे लिए मंगल मैत्री की कामना से भर जाता है.
और देखना जब तुम हर प्राणी के सुख, स्वास्थ्य, कल्याण व मंगल की कामना करोगे तो तुम सकारात्मक ऊर्जा से भर जाओगे, आनंदित महसूस करोगे.
सबका मंगल हो
सभी निरोगी हो
प्रस्तुति : डॉ. एम.एल.परिहार