बुद्ध ने अपने लिए अथवा अपने धम्म के लिए किसी प्रकार के का दावा नहीं किया । उनका धम्म मनुष्य के लिए एक दारा खोजा गया धम्म था । यह ईश्वरीय नहीं था ।

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बुद्ध व उनका धम्म यह ईश्वरीय नहीं था.

बुद्ध ने अपने लिए अथवा अपने धम्म के लिए किसी प्रकार के का दावा नहीं किया । उनका धम्म मनुष्य के लिए एक दारा खोजा गया धम्म था । यह ईश्वरीय नहीं था । प्रत्येक धर्म – संस्थापक ने अपने उपदेशों को ईश्वरीय होने का दावा किया है। हज़रत मूसा ने यद्यपि अपने को ‘ ईश्वरीय ‘ नहीं बताया , किंतु अपने उपदेशों के ‘ ईश्वरीय ‘ होने का दावा अवश्य किया है । उसने अपने अनुयायियों को कहा कि यदि उन्हें दूध और देश में पहंचना है , तो उन्हें उन शिक्षाओं को स्वीकार करना पड़ेगा , क्योंकि वे ‘ ईश्वरीय ‘ हैं । ईसा मसीह ने अपने ‘ ईश्वरीय ने अपने ‘ ईश्वरीय ‘ होने का दावा किया ।उन्होंने दावा किया कि वे ‘ ईश्वर – पुत्र ‘ है । Mahatma Gautam Budh  बुद्ध व उनका धम्म यह ईश्वरीय नहीं था.

अतः स्वाभाविक तौर पर उनकी शिक्षाएं भी ‘ ईश्वरीय ‘ हो गई । कृष्ण ने कहा कि वह स्वयं ही इश्वर था और गीता उसके ही वचन थे । बुध्द ने कभी भी अपने लिए अथवा अपने धम्म – शासन के लिए ऐसा कोई दावा नहीं किया । उनका दावा इतना भर था कि वह भी मनुष्यों में से एक हैं और लोगों के लिए उनका संदेश एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य को दिया गया संदेश है । उन्होंने कभी यह भी दावा नहीं किया कि उनके संदेश में कोई गलती हो ही नहीं सकती ।उनका दावा इतना ही था कि जहां तक उन्होंने समझा है ,बुद्ध व उनका धम्म यह ईश्वरीय नहीं था

उनके धम्मोपदेश निब्बाण का सत्य – मार्ग हैं ।

इसका आधार संसार भर के मनुष्यों के जीवन का व्यापक अनुभव है । उन्होंने कहा कि हर किसी को भी इस बात की स्वतंत्रता है कि वह इसके बारे में प्रश्न पूछे , परीक्षण करे और उस सत्य को प्राप्त करे जो इसमें है । किसी भी दूसरे धर्म के संस्थापक ने अपने धर्म को इस प्रकार परीक्षण की कसौटी पर कसने की खली चुनौती नहीं दी ।

साधु साधु साधु
संदर्भ- बुध्द और उनका धम्म

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