Buddha-Purnima-चैत्र-बुद्ध-पूर्णिमा-महान उपदेश

Buddha-Purnima चैत्र-बुद्ध-पूर्णिमा

आज चैत्र पूर्णिमा है आज ही के दिन बुद्ध ने कालामों को महान उपदेश दिया था .यही कालाम सुत्त इतिहास में सबसे क्रांतिकारी सामाजिक संदेश माना जाता है….
एक बार गौतम बुद्ध भिक्खु संघ सहित चारिका करते हुए कौसल जनपद के केसपुत्त नगर में आए, जहां कालाम रहते थे. कालामों को खबर मिली तो वे वहां पहुंचे जहां तथागत बुद्ध, विहार कर रहे थे.
कालामों ने बुद्ध को विनम्र हो संबोधित किया.
हे श्रमण गौतम ! हमारे गांव में कुछ श्रमण( recluses) व ब्राह्मण (ascetics) आते हैं, वे अपने मत को ऊंचा व श्रेष्ठ बताते हैं और दूसरे मत का खंडन कर नीचा बताते हैं. वे दूसरों की मान्यताओं की निंदा और विरोध करते हैं.
इसी प्रकार कुछ दूसरे श्रमण व ब्राह्मण आते हैं वे भी अपने पंथ की प्रशंसा करते हैं और दूसरों के मत, पंथ का खंडन कर तिरस्कार, विरोध व आलोचना करते हैं.
इसलिए हे श्रमण गौतम ! हम असमंजस व संदेह में पड़ जाते हैं कि इन श्रमण ब्राह्मणों में से कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ ?

यह सुनकर गौतम बुद्ध ने कहा.
हे कालामों ! तुम्हारे अनिश्चित व असमंजस का कारण सही है. संदेह व शक पैदा होना स्वाभाविक है.
इसके बाद कालामों को बुद्ध ने अपनी देशना में बहुत विस्तार से बताया. यह देशना इतिहास में ‘कालामसुत्त’ के नाम से प्रसिद्ध है. यह सूत्र मानव समाज में महान क्रांति कर गया और आज के दौर में ज्यादा प्रासंगिक है.
उस विस्तृत कालाम सुत्त का सार इस प्रकार है..

हे कालामों ! “किसी बात को सिर्फ इसलिए मत मानो कि ऐसा सदियों से होता आया है, परंपरा है या सुनने में आया है.”
“इसलिए मत मानो की किसी धर्म शास्त्र, ग्रंथ में लिखा हुआ है या ज्यादातर लोग मानते हैं.
किसी धर्मगुरु, आचार्य, साधु संत, ज्योतिषी या शासक की बात को आंख मूंद कर मत मान लेना.”
“किसी बात को सिर्फ इसलिए भी मत मान लेना कि वह तुमसे कोई बड़ा या आदरणीय व्यक्ति कह रहा है. बल्कि हर बात को पहले बुद्धि, तर्क, विवेक, चिंतन व अनुभूति की कसौटी पर तोलना, कसना, परखना और यदि वह बात स्वयं के लिए, समाज व संपूर्ण मानव जगत के कल्याण के हित में लगे तो ही मानना.”

चैत्र पूर्णिमा के दिन ही निरंजना नदी के किनारे वृक्ष के नीचे बैठे सिद्धार्थ गौतम को वन देवता मानकर खीर अर्पण की थी. सिद्धार्थ ने सुजाता का यह भोजन दान श्रेष्ठ माना है क्योंकि खीर खाने के बाद उन्हें सम्यक संबोधि की प्राप्ति हुई थी और वह बुद्ध बने थे. धन्य हुई सुजाता.
आज का दिन बुद्ध वंदना, ध्यान साधना , मंगल मैत्री व खीर भोजन दान करने के लिए हैं.

भवतु सब्ब मंगल……सभी निरोगी हो
प्रस्तुति : डॉ.एम. एल. परिहार

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