डॉ.एम.एल.परिहार

BUDDHA

Gautam buddha गौतम बुद्ध कहते है संसार में सुख-दुख हो या रोग-निरोग,सब अनित्य है

Gautam buddha कहते है संसार में सुख-दुख हो या रोग-निरोग. सब अनित्य है, सब परिवर्तनशील है. कोई स्थायी नहीं है. हालात जरूर बदलते है इसलिए आशा की किरण चमकाएं रखे.जिंदगी है तो संघर्ष हैं, तनाव है,चिंता है, ख़ुशी है, डर है, सुख है दुख है लेकिन ये सभी अनित्य है,स्थायी नहीं हैं, परिवर्तनशील है. समयरूपी …

Gautam buddha गौतम बुद्ध कहते है संसार में सुख-दुख हो या रोग-निरोग,सब अनित्य है Read More »

बाबासाहेब द्वारा लंदन से रमाबाई को लिखा हुआ मार्मिक पत्र...

बाबा साहेब द्वारा लंदन से रमाबाई को लिखा हुआ मार्मिक पत्र…

रमा ! यदि तेरी जगह कोई और स्त्री मुझे मिली होती तो वह कब का मुझे छोड़ कर जा चुकी होती ————————————- लंदन, 30 दिसंबर 1930 बाबासाहेब द्वारा लंदन से रमाबाई को लिखा हुआ मार्मिक पत्र ! तू कैसी है, यशवंत कैसा है, क्या वह मुझे याद करता है? उसका बहुत ध्यान रखना रमा. हमारे …

बाबा साहेब द्वारा लंदन से रमाबाई को लिखा हुआ मार्मिक पत्र… Read More »

Boddh bhikshuo ki prachin chikitsa paddhti बौद्ध भिक्षुओं की प्राचीन चिकित्सा पद्धति

इतिहास में पहली बार चेचक व अन्य कई वैक्सीन बौद्ध भिक्षुओं की प्राचीन चिकित्सा पद्धति के आधार पर बने प्राचीन बौद्ध काल में प्राकृतिक चिकित्सा के दुर्लभ तरीके अपनाए जाते थे. बुद्ध के समय के वैद्य जीवक व बाद में चरक, सुश्रुत व नागार्जुन जैसे चिकित्सक विश्वविख्यात है. नालंदा, तक्षशिला व विक्रमशिला जैसे शिक्षा केंद्रों …

Boddh bhikshuo ki prachin chikitsa paddhti बौद्ध भिक्षुओं की प्राचीन चिकित्सा पद्धति Read More »

Rahul-sankrityayan महापंडित-राहुल-सांकृत्यायन-भागो-नहीं,-दुनिया-को-बदलो.

भागो नहीं, दुनिया को बदलो. Rahul-sankrityayan महापंडित राहुल सांकृत्यायन ———————————- ऐसा क्रांतिकारी सूत्र देने वाले और अपने जीवन व लेखन के जरिए दुनिया को यथासंभव बदलने का प्रयास करने वाले महापंडित राहुल सांकृत्यायन एक असंभव मनुष्य और असंभव लेखक की जीवन यात्रा का नाम है. आज उनका जन्मदिन है. आजमगढ़ (उ.प्र.) जिले के एक छोटे …

Rahul-sankrityayan महापंडित-राहुल-सांकृत्यायन-भागो-नहीं,-दुनिया-को-बदलो. Read More »

Buddha-Ratan sutta-Veshali-वैशाली में अकाल और महामारी की विपदा

वैशाली में अकाल और महामारी की विपदा में बुद्ध और रतन सुत्त की महिमा…. एक बार वैशाली में भयंकर दुर्भिक्ष (अकाल) फिर बीमारी फैल गई. काफी लोग मरने लगे. जिंदा लोग भी भय व बेचैनी से अधमरे हो गए. गणराज्य का राजा भी प्रजा का दुख झेल नहीं पा रहा था. आखिर राजा व प्रजा …

Buddha-Ratan sutta-Veshali-वैशाली में अकाल और महामारी की विपदा Read More »

Buddha-Purnima-चैत्र-बुद्ध-पूर्णिमा-महान उपदेश

Buddha-Purnima चैत्र-बुद्ध-पूर्णिमा आज चैत्र पूर्णिमा है आज ही के दिन बुद्ध ने कालामों को महान उपदेश दिया था .यही कालाम सुत्त इतिहास में सबसे क्रांतिकारी सामाजिक संदेश माना जाता है…. एक बार गौतम बुद्ध भिक्खु संघ सहित चारिका करते हुए कौसल जनपद के केसपुत्त नगर में आए, जहां कालाम रहते थे. कालामों को खबर मिली …

Buddha-Purnima-चैत्र-बुद्ध-पूर्णिमा-महान उपदेश Read More »

मंगल कामना:- एक अनूठी ध्यान साधना

मंगल कामना एक अनूठी ध्यान साधना. ————————————- तथागत बुद्ध अपने भिक्षुओं व उपासकों से कहते थे कि तुम चौबीस घंटे, घर परिवार, अड़ोस पड़ोस, कार्यस्थल या राह पर कोई दिखे तो उसके लिए मंगल की कामना करना. वृक्ष भी मिल जाए तो उसके पास से गुजरना, अपने आंगन व बाहर किसी फूल पत्ती को कोमलता …

मंगल कामना:- एक अनूठी ध्यान साधना Read More »

‘अत्त दीपो भव’… अपने दीपक स्वयं बनो. उजाला अंदर से हो, बाहर की रोशनी से नहीं.

‘अत्त दीपो भव’… अपने दीपक स्वयं बनो. उजाला अंदर से हो, बाहर की रोशनी से नहीं. भीतर का अंधेरा बाहर के दीयों से नहीं कटता है. गौतम बुद्ध कहते है…किसी दूसरे के उजाले में चलने की बजाय अपना प्रकाश ,अपनी प्रेरणा खुद बनो. खुद तो प्रकाशित हों ही, दूसरों के लिए भी एक प्रकाश पूंज …

‘अत्त दीपो भव’… अपने दीपक स्वयं बनो. उजाला अंदर से हो, बाहर की रोशनी से नहीं. Read More »

तथागत गौतम बुद्ध:- भिक्षुओं ! जो मेरी सेवा करना चाहता है वह रोगी की सेवा करें….

एक बार गौतम बुद्ध थेर आनंद के साथ एक बड़े विहार में भिक्षु निवास का निरीक्षण कर रहे थे. एक कमरे में एक भिक्षु अपने मल मूत्र में असहाय पड़ा था. बुद्ध ने पूछा. –भिक्षु ! तुम्हे क्या कष्ट है ? –भयंकर दस्त से पीड़ित हूं भगवान. –भिक्षु ! क्या दूसरे भिक्षु तुम्हारी देखभाल नहीं …

तथागत गौतम बुद्ध:- भिक्षुओं ! जो मेरी सेवा करना चाहता है वह रोगी की सेवा करें…. Read More »

जीवन जीने की कला : विपस्सना ध्यान विद्या…

विपस्सना मानव इतिहास का सबसे अधिक महत्वपूर्ण ध्यान प्रयोग है जिसे ढाई हजार साल पहले महान मनोवैज्ञानिक गौतम बुद्ध ने खोजा था. संसार में जितने लोग विपस्सना से बुद्धत्व को उपलब्ध हुए उतने किसी और विधि से नहीं. आज यह सारे बंधनों व सीमाओं को लांघ कर पूरी दुनिया में हर जाति, संप्रदाय, पंथ,मान्यता व …

जीवन जीने की कला : विपस्सना ध्यान विद्या… Read More »