धम्मदीक्षा का जोखिम (122 शिकारियों को धम्म दीक्षा
पुराने समय में एक बार बुद्ध राजगृह से कोई पौने दो सौ मील की दूरी पर पर्वतों से भरे एक प्रदेश में विहार कर रहे थे । इन पर्वतों में कोई 122 आदमियों का एक दल रहता था , जो शिकार करते थे और उन मारे गए जानवरों से अपना पेट भरते थे । बुद्ध वहां पहुंचे । जिस समय पुरुष शिकार खेलने बाहर गए होते , तब वह उनकी स्त्रियों को धम्म में दीक्षित करते थे और ये पंक्तियां बोलते थे “ जो दयावान है वह किसी प्राणी की हत्या नहीं करता ( अथवा हिंसा न करना),वह सदा प्राणियों के जीवन को ( स्वयं को भी ) सुरक्षित रख सकता है। ” यह सिद्धांत अमर है । जो इसके अनुसार आचरण करता है , उस पर पर कोई विपत्ति नहीं आती।” विनम्रता , सांसारिक भोगों के प्रति उपेक्षा , किसी को कष्ट न पहुचाना , किसी को रुष्ठ नहीं करना ।
“ बुद्ध की शिक्षा के अनुसार निर्मल , दुर्बल व्यक्तियों के प्रति सदा मैत्री करना, यह जानना कि कब पर्याप्त मिल चुका है;यह जानना कि कब इच्छा नही करनी ।इन बुद्ध वचनों को सुनकर स्त्रियां बद्ध के धम्म में दीक्षित हो गई । जब उनकपुरमर तो वे बुद्ध को मार ही डालना चाहते थे , किंत उनकी स्त्रियों ने उनों राक लिया । बाद मैत्री – सुत्त के पदों को सुनकर वे भी दीक्षित हो गए । और तब बुद्ध ने ये पंक्तियां भी कही ” जो दया – भावना का अभ्यास करता है और सबके प्रति दयालु रहता है , उस मनुष्य को ये ग्यारह लाभ प्राप्त होते हैं । “ उसका शरीर सदा स्वस्थ ( सुखी ) रहता है , वह शांति से भरी नींद सोता है और जब अध्ययन करता है तो उसका चित्त एकाग्न रहता है ।” उसे दुःस्वप्न नहीं आते , वह लोगों का प्रिय होता है , उसे विषले जीवों का ससा की । होता , वह बुद्ध की हिंसा से बचा रहता है , अग्नि या जल से उसकी हानि नही होती। “वह जहां भी रहता है अपने कार्य में सफल होता है । ये ग्यारह लाभ हैं। इस धम्म देसना के बाद , स्त्रियों तथा पुरुषों को धम्म शासन में दीक्षित किया गया उन्हें बुद्ध से शांति – लाभ प्राप्त हुआ ।
साधु साधु साधु
सन्दर्भ. बुद्ध और उनका धम्म
राजेन्द्र के. निब्बाण
9467789014