Jai Bheem Jai Bharat जय भीम, जय भारत का नारा बाबू हरदास
आज देश में बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को चाहने वालों का आपसी सम्बोधन “जय भीम “ हैं। अब तो यह शब्द बहुजन एकता व् असिमता की पहचान ही हो चूका है। इसके अस्तित्व में आने का एक रोचक इतिहास है। 1921 की बात है कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के सामाजिक आंदोलन के एक साथी बाबू हरदास थे, वे जीवनभर बढ़-चढ़कर सभी आंदोलनों में हिस्सा लेते रहे, उन्होंने नासिक के कालाराम मंदिर सत्याग्रह में हिस्सा लिया, पूना पैक्ट के वक्त भी वे बाबा साहब के साथ रहे। बाबू हरदास को किसी व्यक्ति के एक दिन प्रातः धार्मिक सम्बोधन किया, तब जवाब में उन्होंने अचानक इसे “जय भीम” बोल दिया। (Jai Bheem Jai Bharat जय भीम, जय भारत का नारा). प्रारम्भ में यह ‘जय भीम’ तथा इसके प्रत्युत्तर में ‘बल भीम’ था, मगर 1933-34 में समता सैनिक दल के नागपुर के कार्यक्रम के दौरान बाबू हरदास द्वारा लगाया गया ‘जय भीम’ हर व्यक्ति की जुबान पर चढ़ गया। 12 जनवरी 1939 को बाबू हरदास बाबा साहब को अकेला कर गए। उन्हें श्रदांजलि देते हुए भावुक बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर ने कहा -“बाबू हरदास मेरा दाहिना हाथ थे।”
नमो बुद्धाय जय फुले जय भीम जय भारत
आज के समय में तथागत गौतम बुद्ध, संत कबीर, संत रविदास, सम्राट अशोक, सामाजिक क्रांति के अग्रदूत पितामह राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले,माता सावित्री बाई फुले, बिरसा मुंडा, बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, संत गाडगे, मान्यवर साहब कांशीराम जी के अनुयायी व् उनके समता न्याय बन्दुत्व के मानवतावादी विश्व के निर्माण के करवा के साथ चलने वाले बहुजन समाज के लोग ” नमो बुद्धाय, जय फुले, जय बिरसा, जय भीम, जय भारत के नारा लगाते है. जो बहुजन समाज के महापुरुषों के बताए मार्ग पर चलते हुए नारे लगाते है. यह अपने में स्वाभिमान आत्मसम्मान समता न्याय के लिए संघर्ष मिशन मूमेंट को इन नरो के उद्घोष के साथ उन्हें व् उनके संघर्षो याद करके आगे बढ़ते है।
“जय भीम” शौर्य,स्वाभिमान, आत्मसमान, समता, न्याय, स्वतत्रंता,बन्दुत्व का प्रतीक
जय भीम बहुजन 1 जनवरी 1818 भीमा कोरेगांव का युद्ध जो पेशवाओ व महारो के बीच हुआ था. इस युद्ध में महारो ने हजारों सालो से हो रहे अमानवीय अत्याचारों पशु से भी बदतर छुआ-छूट ब्राह्म्णवादीयो के विभत्सना के कारण इस शदियों से चली ग़ुलामी के ख़िलाफ़ इस युद्ध में केवल 500 वीर महार योद्धाओ ने 2800 पेशवाओ की सेना को धूल चाटडी, 1 जनवरी शौर्य दिवस बहुजन समाज बनाता है। जय भीम नारा छुआ-छूट मनुवादियो के द्वारा थोपी गई ग़ुलामी अमानवीय अत्याचारों का “भीमा” नदी के किनारे करेगांव में युद्ध जो समता स्वतंत्रता न्याय के लिए था। इस कारण “भीम” शब्द का वह से भी जुड़ाव हैं. दूसरा बाबा साहब डॉ.अम्बेडकर के माता का नाम भी “भीमा” बाई था जिन्होंने जैसे युग पुरुष को जन्म दिया जिनका नाम भी “भीम”राव था. इन सभी करनो से भीम शब्द शौर्य,स्वाभिमान, आत्मसमान, समता, न्याय, स्वतत्रंता,बन्दुत्व का प्रतीक बन गया है अपने मानवीय हक्को के लिए संघर्ष कर रहे हर शोषित वर्ग यह उद्घोष,संबोधन हैं।
जय भीम